कोविड-19 पूल टेस्टिंग क्या है

भारत में तेजी से बढ़ रहे कोरोना वायरस के मामले को लेकर सरकार गंभीर है। देश में अब पूल टेस्टिंग की तैयारी शुरू हो गई है। पूल टेस्टिंग का मकसद कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच करना है, ताकि पीड़ित व्यक्तियों को समय रहते इलाज मिल सके। इस आर्टिकल में पूल टेस्टिंग के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। सैंपलों की जांच किस तरह की जाएगी, इसको भी साझा किया जाएगा। पूरी जानकारी हासिल करने के लिए आर्टिकल पर अंत तक बने रहें।

पूल टेस्टिंग से एक साथ पांच नमूनों की होगी जांच

  • पूल टेस्टिंग में एक साथ पांच नमूनों की जांच की जाएगी। यानी पांच व्यक्तियों के सैंपल को मिलाकर एक पूल तैयार किया जाएगा।
  • स्क्रीनिंग के दौरान पूल को एक व्यक्ति माना जाएगा। जांच में पूल की रिपोर्ट निगेटिव पाए जाने पर सभी पांच व्यक्तियों को निगेटिव माना जाएगा।
  • पूल की रिपोर्ट अगर पॉजिटिव पाई जाती है तो फिर इस कंडीशन में सभी पांच व्यक्तियों के सैंपल को अलग-अलग करके नए सिरे से जांच की जाएगी।
  • दोबारा की गई स्क्रीनिंग के हिसाब से अलग-अलग व्यक्तियों की जांच रिपोर्ट को अलग-अलग रूप में देखा जाएगा।

कोविड-19 के मामले कम होने पर होगा पूल टेस्ट

  • नमूनों को एकत्रित करने की सिफारिश सिफ उन्हीं क्षेत्रों में की जाएगी, जहां कोरोना वायरस के मामले न के बराबर हैं।
  • जिस क्षेत्र में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं, वहां पूल टेस्टिंग नहीं की जाएगी। अलग-अलग सैंपल की अलग-अलग जांच की जाएगी।
  • व्यक्तिगत जांच के बाद जिस आदमी की रिपोर्ट पॉजिटिव होगी, उसे आइसोलेट किया जाएगा। हॉस्पिटल में एडमिट भी किया जा सकता है।
  • इसी तरह व्यक्तिगत जांच में जिस आदमी की रिपोर्ट निगेटिव होगी, उसे “होम क्वारंटाइन” किया जाएगा। ऐसा एहतियात के तौर पर किया जाएगा।

(Covid 19) Pool Testing की मदद से 24 घंटे में 31 हजार टेस्ट

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के मुताबिक 14 अप्रैल, 2020 को भारत में 24 घंटे में 31, 635 सैंपल टेस्ट किए गए थे। इनमें 1211 लोग पॉजिटिव पाए गए थे। जानकार मानते हैं कि कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए टेस्टिंग बहुत जरूरी है। अगर टेस्टिंग बढ़ेगी तो नए केस की संख्या भी बढ़ेगी। जो लोग पॉजिटिव पाए जाएंगे, उन्हें दूसरे लोगों से अलग करने में मदद मिलेगी। वे दूसरों तक इसे नहीं पहुंचा सकेंगे।

जांच में तेजी लाना जरूरी

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR ) के मुताबिक भारत में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में सैंपल की टेस्टिंग प्रक्रिया में भी तेजी लाने की जरूरत है। प्रयोगशालाओं द्वारा परीक्षणों को बढ़ाने के लिए ही पूल टेस्टिंग की बात की जा रही है। पूल टेस्टिंग के जरिए कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच की जा सकेगी। टेस्टिंग सेंटरों की संख्या बढ़ाने की बात भी की जा रही है।

अमेरिका में 24 घंटे में एक लाख सैंपल टेस्ट

कोरोना वायरस अमेरिका में तेजी के साथ फैल रहा है। पॉजिटिव केस की संख्या लाखों में पहुंच चुकी है। अलग-अलग माध्यमों से मिली जानकारी के मुताबिक अमेरिका अपने यहां 24 घंटे में एक लाख से ज्यादा सैंपल टेस्ट कर रहा है। सेंटरों पर जांच कराने वाले लोगों की भारी भीड़ जुट रही है। अमेरिका का तर्क है कि वह ज्यादा जांच कर रहा है, इसलिए उसके यहां ज्यादा केस भी सामने आ रहे हैं।

पूल टेस्ट से खर्च में आएगी कमी

भारत में पूल टेस्ट की वजह से जहां जांच में आसानी होगी, वहीं खर्च में कमी भी आएगी। सरकार ने हालांकि खर्च का ब्योरा नहीं दिया है, लेकिन माना जा रहा है कि व्यक्तिगत जांच की तुलना में पूल टेस्ट का खर्च कम है। सरकार ने पैसों का इस्तेमाल लैब सेंटरों की संख्या बढ़ाने के लिए खर्च कर सकती है।

कोविड-19 पूल टेस्टिंग के लिए प्रदेशों ने सहमति जताई

स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइंस पर प्रदेशों ने सहमति जताई है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, महराष्ट्र आदि प्रदेश पूल टेस्ट के लिए तैयार हो गए हैं। आईसीएमआर की हरी झंडी मिलने के बाद राज्यों में पूल टेस्ट शुरू कर दिया जाएगा। फिलहाल इसके सभी पहलुओं की समीक्षा की जा रही है। उन क्षेत्रों का चयन भी किया जा रहा है, जहां कोरोना वायरस के मामले ज्यादा नहीं हैं।

भारत में फिलहाल केस की संख्या कम

भारत में वैसे तो कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन अमेरिका, ईरान, जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, इटली, यूके, टर्की आदि देशों की तुलना में फिलहाल राहत है। अमेरिका, फ्रांस, स्पेन और इटली में कोरोना वायरस से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या लाखों में पहुंच चुकी है। जबकि भारत में स्थिति भयावह नहीं है। प्रतिदिन नए केस की संख्या भी इन देशों की तुलना में कम है। हालांकि सरकार मान रही है कि समय जैसे-जैसे गुजरेगा, भारत में नए केस बढ़ेंगे, जिसको लेकर सर्तक रहने की जरूरत है।