केंद्र हो या प्रदेश सरकारें, सभी का फोकस अब किसानों पर हो गया है। किसानों के लिए एक के बाद एक लाभकारी योजनाएं शुरू की जा रही हैं। कुछ योजनाओं का संचालन बेहतर ढंग से किया जा रहा है, जिसकी वजह से किसानों को फायदा भी मिल रहा है। इस कड़ी में किसान विकास पत्र योजना को भी फिर से शुरू किया गया है। योजना का मकसद किसानों को एक ऐसा प्लेटफार्म मुहैया कराना है, जहां वे पूरी तरह सुरक्षित महसूस कर निवेश कर सकें। उनके लिए ब्याज की व्यवस्था भी की गई है। हम आपको किसान विकास पत्र योजना के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। इससे जुड़े सभी पहलुओं को भी विस्तार के साथ साझा किया जाएगा।  

KVPY की शुरुआत

तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने 1998 में किसान विकास पत्र योजना की शुरुआत की थी। इस योजना से देशभर के करोड़ों किसान जुड़े और उन्हें इसका फायदा मिलने लगा। 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनने के बाद भी इस योजना को सफलतापूर्वक चलाया गया था। यूपीए के दूसरे कार्यकाल यानी 2011 में इस योजना को बंद कर दिया गया था। 2014 में भाजपा की सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको फिर से शुरू कर दिया।

योजना के लिए पात्रता

  • किसान विकास पत्र खरीदने के लिए भारत का मूल निवासी होना जरूरी है। नागरिकता प्रमाणपत्र दिखाने पर एनआरआई भी इसे खरीद सकते हैं।
  • व्यस्क आवेदक अपने नाम से ही प्रमाणपत्र हासिल कर सकते हैं। किसी दूसरे व्यक्ति के नाम से इसे नहीं खरीदा जा सकता है।
  • परिवार के किसी नाबालिग सदस्य के लिए प्रमाणपत्र खरीदा जा सकता है। जरूरी आपैचारिकताएं पूरी करनी होगी।
  • ट्रस्ट के नाम से भी किसान विकास पत्र खरीदा जा सकता है। अगर दो व्यक्ति एक साथ प्रमाणपत्र लेना चाहते हैं तो उन्हें संयुक्त खाता नंबर देना होगा।
  • प्रमाणपत्र अगर खो जाता है या फिर चोरी हो जाता है तो डाकघर या बैंक की किसी भी शाखा से इसे दोबारा हासिल किया जा सकता है।

किसान विकास पत्र योजना के लाभ

  • किसान विकास पत्र एक तरह का प्रमाणपत्र है, जिसे किसानों के साथ दूसरे वर्ग के लोग भी आसानी से खरीद सकते हैं।
  • किसान विकास पत्र खरीदने के ढेर सारे फायदे हैं। किसान विकास पत्र खरीदने के बाद अगर इसकी मियाद 100 महीने हो गई है तो दोगुनी रकम मिलेगी।
  • किसान विकास पत्र को ट्रांसफर भी किया जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति इसे दूसरे को देना चाहता है तो यह संभव है।
  • किसान पत्र लेने वालों को इसके लिए बैंक या फिर डाक घर में औपचारिकता पूरी करना होगा। यहां एप्लीकेशन देना होगा।
  • जिस व्यक्ति को किसान विकास पत्र दिया जा रहा है, वह सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के दायरे में आता हो। गाइडलाइंस को पूरा करना जरूरी है।

KVPY बच्चों के नाम पर भी ले सकते हैं

  • किसान विकास पत्र को 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भी खरीदा जा सकता है। इसका फायदा उन्हें भविष्य में मिलेगा।
  • खास बात यह है कि किसान विकासपत्र पर ब्याज भी मिलता है। योजना के तहत निवेश करने वालों को सरकार की तरफ से रिटर्न दिया जाता है।
  • किसान विकास पत्र वितरण की जिम्मेदारी डाक विभाग को दी गई है। डाक विभाग की छोटी-बड़ी शाखाओं से पत्र को खरीदा जा सकता है।
  • बैंकों के जरिए भी किसान विकास पत्र को खरीदा जा सकता है। सभी छोटी-बड़ी शाखाओं में पत्रों की व्यवस्था की गई है।

किसान विकास पत्र के प्रकार

  • किसान विकास पत्र योजना के तहत तीन तरह के प्रमाणपत्रों की व्यवस्था की गई है। पहला सिंगल होल्डर प्रमाणपत्र की व्यवस्था की गई है, जिसे व्यस्क और नाबालिग बच्चों के लिए भी खरीदा जा सकता है।
  • इसी तरह दूसरे प्रमाणपत्र के साथ एक संयुक्त प्रमाणपत्र भी हासिल किया जा सकता है। इसके तहत दो व्यस्क लोगों के नाम एक साथ होंगे।
  • अगर इस दौरान किसी एक की मौत हो जाती है तो दूसरे व्यक्ति को इस योजना का लाभ मिलेगा। इसके लिए ज्वाइंट बी प्रमाणपत्र तय किए गए हैं।  

KVPY के पेमेंट मोड

किसान विकास पत्र के लिए कई तरह से भुगतान किया जा सकता है। कैश पेमेंट तो कर ही सकते हैं, चेक भी दे सकते हैं। डिमांड ड्रफ्ट के जरिए भी भुगतान किया जा सकता है। जिस बैंक की शाखा से किसान विकास पत्र खरीद रहे हैं, अगर उसी बैंक शाखा में खाता है तो सेविंग अकाउंट के विड्राल फार्म के जरिए भी किसान विकास पत्र के लिए भुगतान किया जा सकता है। किसान विकास पत्र के लिए किसी तरह का इंतजार नहीं करना होगा। कैश पेमेंट के बाद तुरंत प्रमाणपत्र दे दिया जाएगा।

किसान विकास पत्र की कीमत

किसान विकास पत्र की कीमत तय की गई है। किसान विकास पत्र की शुरुआती कीमत 1000 रुपये है। 50,000 रुपये तक की कीमत के प्रमाणपत्र खरीदे जा सकते हैं। 5000 और 10,000 रुपये तक की कीमत के किसान विकास पत्र भी मिल जाएंगे। इस तरह 50 हजार रुपये के अंदर जिस भी श्रेणी का प्रमाणपत्र खरीदना चाहते हैं, वह आसानी के साथ मिल जाएगा।   

ब्याज की रकम (KVPY Rate Of Interest )

किसान विकास पत्र के लिए ब्याज तय किया गया है। हालांकि यह बैंक की मौजूदा वित्तीय व्यवस्था पर तय है। फिलहाल अगर किसी ने आजीवन के लिए प्रमाणपत्र खरीदा है तो 7-8 प्रतिशत के रूप में ब्याज मिल सकता है। जब इसका रिटर्न मिलेगा तो उसके साथ ब्याज की रकम भी शामिल होगी। इसी तरह अगर किसी ने किसान विकास पत्र खरीदा है तो आठ साल के बाद रकम दोगुनी कर दी जाएगी।

KVPY का मूलधन कब निकाल सकते हैं

किसान विकास पत्र खरीदने के तीन साल के बाद मूलधन निकाला जा सकता है। किसान विकास पत्र की मूल रकम वापस कर दी जाएगी। मूलधन निकालने के बाद एक तय समय पर मिलने वाले रिटर्न में ब्याज की रकम कम हो जाएगी। अगर इस दौरान किसान विकास पत्र खरीदने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है तो सभी जरूरी दस्तावेजों को सौंपने के बाद परिवार वालों को उसकी रकम दी जाएगी।

जरूरी दस्तावेज

पचास हजार रुपये या इससे अधिक कीमत के प्रमाणपत्र खरीदने पर पैन कार्ड नंबर देना होगा। इसी तरह अगर कोई व्यक्ति प्रमाणपत्र पर 10 लाख रुपये से ज्यादा की रकम खर्च करता है तो उसे अपनी कमाई का पूरा ब्योरा डाकघर या फिर बैंक को देना होगा। पहले पैन कार्ड की अनिवार्यता नहीं थी। खरीदारों को आधार कार्ड भी देना होगा। ग्राहकों को डाकघर या बैंक की ओर से एक पहचान स्लिप दी जाएगी। पहचान स्लिप को अपने पास रखना होगा। रसीद में प्रमाणपत्र के कैश होने की जानकारी भी दी जाती है। पत्र की मियाद की जानकारी रहती है।

 मैच्यूरिटी की रकम पर टैक्स नहीं है

मैच्यूरिटी के बाद पैसे हासिल करने पर ग्राहकों को किसी भी तरह का टैक्स नहीं देना होगा। हालांकि किसान विकास पत्र को टैक्स के दायरे में रखा गया है। किसान विकास पत्र के जरिए जो भी आय होगी, उसके लिए टैक्स देना होगा। इसका मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों को टैक्स के दायरे में लाना है। किसान विकास पत्र का पूरा फायदा तब ही मिलेगा, जब इसकी मैच्यूरिटी पूरी हो जाएगी।